Kuch Hasin Yaadein

Kuch Hasin Yaadein

शनिवार, 27 जून 2009

हिना !!

हाँ जानता हूँ मैं तुमको, हिना हो तुम !!

भर देती है जो ज़ख्मों को, वो हिना हो तुम !
ताज़गी देती है खुशबू जिसकी, वो हिना हो तुम !
रच जाती है जो खुशी के रंग में, वो हिना हो तुम !!

सुन्दरता जिसका उपहार है, वो हिना हो तुम !
सादगी जिसका श्रृंगार है, वो हिना हो तुम !
भोली है, मासूम है जो, वो हिना हो तुम !!

मेरी हर धड़कन की गवाह है जो, वो हिना हो तुम !
मेरी हर खुशी की लहर है जो, वो हिना हो तुम !!

मेरा दिल, मेरा अरमान है जो, वो हिना हो तुम !
मेरा गुरूर, मेरा ऐतबार है जो, वो हिना हो तुम !!

जान लो आज ये मुझसे, मेरी हिना हो तुम !!

सोमवार, 13 अप्रैल 2009

मेरी ज़िन्दगी

भोली सी तू , चंचल सी तू , बड़ी मासूम सी है तू !

दाग लगे चाँद की बेदाग़ चाँदनी सी है तू !!

बहार में खिले फूलों की खुशबु सी है तू !

मेरे लिए तो जैसे मेरी ज़िन्दगी सी है तू !!

शुक्रवार, 10 अप्रैल 2009

तुम्हारे लिए !!

मेरे पास नहीं है चाँद- तारे तोड़ लाने का वादा तुम्हारे लिए !

मेरे पास नहीं है जाँ लुटा देने का दावा तुम्हारे लिए !!

मेरे पास तो है बस मेरी उम्र के हजारों पल तुम्हारे लिए !

खट्टे- मीठे , हँसते - खिलखिलाते, रुठते - मनाते पल तुम्हारे लिए !!

शनिवार, 4 अप्रैल 2009

क्या ग़म है !!

आदमी आता है तन्हा , आदमी जाता है तन्हा !
हूँ मैं आज तन्हा तो क्या ग़म है !!

ज़िन्दगी तस्वीर से बन गई है आईना !
हूँ ग़र आईने में तन्हा तो क्या ग़म है !!


तन्हा है वो कि मैं उनके पास नहीं
और वो मेरे दिल में हैं तन्हा तो क्या ग़म है !!

तन्हा तन्हा लोगों को मोहब्बत है तन्हाई से !
अब मोहब्बत ही हो गई है तन्हा तो क्या ग़म है !!



शुक्रवार, 3 अप्रैल 2009

तुम ही तुम !!

सुन लूँ कोई धुन तो तेरी आवाज़ सुनाई देती है !

जो देख लूँ तस्वीर कोई , तेरी सूरत दिखाई देती है !!

आँखें बंद कर लूँ तो तेरा ही तस्सवुर है !

आँखें खोल दूँ तो दर पे तेरी परछाई दिखाई देती है !!

रविवार, 22 मार्च 2009

इक सफर

एक आदमी अपने सफर पर जा रहा है ... दूर- दूर तक साफ़ दिखने वाली खाली सड़क , फुल स्पीड , मनपसंद तरानों का लुत्फ़ लेता हुआ ... उसको लग रहा है मानो हजारों पल फुरसत के मिल गए हो लेकिन वो अभी अन्जान है , वो अन्जान है उस खतनाक मोड़ से जो उसका इंतज़ार कर रहा है ! वो मोड़ जिस पर आते ही या तो वो गाड़ी घुमाने में सफल हो जायेगा या तो नहीं ...... नहीं मुड पाया तो सफर ख़त्म .... और जो मुड गया तो एक झटके के बाद सफर की नई शुरुवात !





अब भी सफर वो ही है लेकिन वो सफर वो नहीं रहा क्यूंकि अब वो खाली सड़क तो है लेकिन उस पर कहीं से भी किसी भी गाड़ी या फ़िर से किसी भयानक मोड़ के आ जाने का डर है ... इसीलिए अब बहुत सँभालते हुए आम स्पीड से भी कम पर चल अहा है.... अब भी वो मनपसंद गाने चल रहे हैं लेकिन उनकी आवाज़ जो पहले दिल तक जा रही थी अब सिर्फ़ कानों तक ही पहुँच पा रही है और वो फुरसत के लिए ... वो तो छूमंतर हो गए ?

नहीं !!


वो ही पल हैं, वो ही गाने हैं , वो ही खाली सड़क है .... फर्क सिर्फ़ इतना है की इस सब का लुत्फ़ नहीं रहा क्यूंकि अब एहसास नहीं है ! एहसास होते ही लुत्फ़ भी वापिस आ जाएगा !





ये तो होता ही है इसमें क्या ख़ास है .... हाँ , कुछ भी तो नहीं अगर सिर्फ़ इतना ही है ... ख़ास बात तो तब आती है जब ऐसे ही किसी खतरनाक मोड़ के बाद खाली सड़क खाली नही रह जाती , उस पर कई गाडियाँ आ जाती है वो भी दोनों तरफ़ से... अब स्पीड का तो नाम ही नहीं है...... गाने तो पता ही नहीं चल रहे हैं भी या नहीं ...... और फुरसत .... अरे ! ये क्या होता है ?? अब वो चाहे भी तो लुत्फ़ नही ले सकता !





अगर लुत्फ़ लेना है तो इसी भीड़ में, नापसंद गानों के बीच , इसी व्यस्तता में लेना होगा क्यूंकि दोस्तों यह सफर ज़िन्दगी का सफर है, यह सड़क ज़िन्दगी है , भीड़ है ज़िन्दगी की मुश्किलें और मनपसंद गाने है अनुकूल परिस्तिथियाँ !!

मंगलवार, 10 फ़रवरी 2009

.........

यूँ तो मेरी शायरी है ज़माने के लिए !

पर कुछ शेर है सिर्फ़ तुम्हारे लिए !!

तुम, जो महका गई मेरी ज़िन्दगी को !

ये दिल धड़केगा अब उम्र भर तुम्हारे लिए !!

ये क्या हुआ...

क्या था, क्या हुआ और अब क्या हो गया हूँ !

करना था बहुत कुछ और मैं सो गया हूँ !!

नींद से निकल आया और ख्वाबों में खो गया हूँ !

मैं क्या हो गया हूँ , मैं क्या हो गया हूँ !!

सोचता हूँ !!

सोचता हूँ चल पडूँ तो रास्ते तमाम है !

जो चल पडूँ तो देखता हूँ मुश्किलें तमाम है !!

मुश्किलों के भेस में दिखती है कुछ सीरतें !

वो सीरतें जिनकी सूरतें बहुत ही आम है !!

शनिवार, 7 फ़रवरी 2009

ये कैसा प्यार..

दर्द-ऐ- दिल इश्क और प्यार
हर कोई कर रहा है आज मोहब्बत यार !
बच्चों का खेल नहीं है इश्क करना,
इन्हें तो चाहिए अभी पढ़ना !!

फैशन के दौर में गारण्टी नहीं होती ,
तभी तो आजकल सच्ची मोहब्बत नहीं होती !
बेटा, जब हो जाओगे जवान मन से और दिल से ,
चुन लेना कोई गुल हसीनाओं की महफिल से !!

प्यार किया नहीं जाता हो जाता है ,
ऐसा अक्सर कहा जाता है !
क्या ये प्यार इतना हावी हो जाता है ,
कि कोई अपने माँ - बाप को भूल जाता है !!

प्यार कर लो , प्यार में नहीं कोई बुराई है ,
पर याद रहे वो बातें भी जो माँ - बाप ने सिखाई है !
फैसले ज़िन्दगी के कुछ भी हो ऐसे होने चाहिए ,
जिससे माँ - बाप को ठेस न लगनी चाहिए !!

जो भी माँ - बाप का दिल तोड़ कर जाएगा,
ज़िन्दगी में कभी ना कभी पछतायेगा !
बेटा, माता - पिता तो प्रभु के वो रूप होते है ,
जिनके कलयुग में भी साक्षात दर्शन और आलिंगन होते है !!

शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2009

हसरतें

आज पूरी हो जाएँ सारी हसरतें तो जीना छोड़ दूँ !

हसरतों का ख्याल दिल में ना आए तो पीना छोड़ दूँ !!

सोचता हूँ वक्त के कुरेदे हुए ज़ख्मों को सीना छोड़ दूँ !

और तेरी याद में बह रहे आंसुओं को मुस्कुराहट के दर पे छोड़ दूँ !!

गुरुवार, 5 फ़रवरी 2009

जिंदगी ?

जिंदगी संघर्ष है, सफर है और कभी पहेली भी है !

हरी-भरी है लेकिन , कभी - कभी अकेली भी है !!

जो सीख लिया इस साज़ को तो सुरीली भी है !

और लग गए ग़लत सुर तो ज़हरीली भी है !!

तुम !

वो पल, वो बातें , वो यादें , मुलाकातें !

मेरे संग है बस ये तेरी चन्द सौगातें !!

तेरे ही ख्यालों से रोशन है मेरे दिन !

तेरे ही तस्सवुर से महकती है मेरी रातें !!

रविवार, 1 फ़रवरी 2009

घायल!!

नहीं, वो कोई हूर नहीं इक साधारण बाला है ...

जिसके तीर-ऐ-नीमकश ने घायल मुझे कर डाला है.........

शनिवार, 31 जनवरी 2009

यूँ पर क्यूँ ?

वो सादगी जिसकी तलाश थी मुझे,

सोचा न था यूँ मिल जायेगी इक दिन!

और चन्द पलों के ठहराव पर ही,

सोचा न था यूँ छिन जायेगी इक दिन !!

गुरुवार, 15 जनवरी 2009

सच तो यह है..

कहते है दुनिया में अकेला आता है आदमी !
और अकेला ही दुनिया से चला जाता है आदमी !!

जाने क्यूँ वो पल भूल जाता है आदमी !
जिनके सहारे सारी ज़िन्दगी जी जाता है आदमी !!

भूल जाता है वो उंगलियाँ जो चलना सिखाती है !
भूल जाता है वो थपकियाँ जो आराम से सुलाती है !!

दिन काटने में ज़िन्दगी जीना भूल जाता है आदमी !
माया को अपना बनाने में अपनों को ही भूल जाता है आदमी !!

कैसी भागमभाग है और कैसा मोह है जब अकेला ही जाता है आदमी !
जब हाथ से छूट जाता है सब तो समझ पाता है आदमी !!

शुक्रवार, 9 जनवरी 2009

नज़र

ना वो मुझसे दूर थे, ना मैं उनसे दूर था !

आता न था नज़र, तो नज़र का कसूर था !!

मेरे प्यारे दोस्त !!

ऐ -दोस्त ज़िन्दगी के एक मोड़ पर तुम मुझे मिले !

आरजू थी जब एक सच्चे दोस्त की तुम मुझे मिले !!

ज़रूरत थी जब किसी अपने की तुम मुझे मिले !

खुदा सलामत रखे आपको कि ये दोस्ती हमे उम्र भर मिले !!

बुधवार, 7 जनवरी 2009

रुबरु

जब ढूँढता था उनको रूह में, पाता था उनको रूबरू...
अब पा लिया है जो रूह में, तो है नहीं वो रूबरू........