कहते है दुनिया में अकेला आता है आदमी !
और अकेला ही दुनिया से चला जाता है आदमी !!
जाने क्यूँ वो पल भूल जाता है आदमी !
जिनके सहारे सारी ज़िन्दगी जी जाता है आदमी !!
भूल जाता है वो उंगलियाँ जो चलना सिखाती है !
भूल जाता है वो थपकियाँ जो आराम से सुलाती है !!
दिन काटने में ज़िन्दगी जीना भूल जाता है आदमी !
माया को अपना बनाने में अपनों को ही भूल जाता है आदमी !!
कैसी भागमभाग है और कैसा मोह है जब अकेला ही जाता है आदमी !
जब हाथ से छूट जाता है सब तो समझ पाता है आदमी !!
Behad sachhee bhawnaayen...! Saadgee bharee rachnaa, aur saral shabd....
जवाब देंहटाएंAnek shubhkamnayon sahit swagat hai aur mere blogpe aanekaa snehil nimantranbhee...jahan mereehee zindageekaa safar bayaan ho rahaa hai...ye kahungee ki naa mai lekhikaa hun naa kavee...
Aapke blog ko aur padhnaa hai abhee, waapasee zaroor hogee.
Aapke blog kaa naam bhee badaa achha lagaa...asalme to naamse aakarshit ho yahan pohoch gayee.
जवाब देंहटाएंसच ही कहा आपने क्या है आदमी ?
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर…आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
जवाब देंहटाएंदिल से रे..........दिल से रे.........आपकी अनुभूति तो लाज़वाब है.............कवितायें उन अनुभूतियों से थोड़ा कमतर..........थोड़ा और गहरे जाएँ ना............!!
जवाब देंहटाएंभूल जाता है वो उंगलियाँ जो चलना सिखाती है !
जवाब देंहटाएंभूल जाता है वो थपकियाँ जो आराम से सुलाती है !!
बहूत भावोक अभिव्यक्ति, मार्मिक रचना है....
बसंत पंचमी की आप को बधाई
बेवफा है आदमी।
जवाब देंहटाएंआदमी सब कुछ है पर
आदमी ही नहीं है।
अभिव्यक्ति सुन्दर एव्र प्रहार करने वाली है।
मेरी शुभकामनाएं।
श्याम बाबू शर्मा
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hazar khwahishen esi ...ki har khawish per dam nikle..bahut nikle mere arma...phir bhi kam nikle...
जवाब देंहटाएंwell done.....keep it up !!!! god always bless u with all such auspicious thoughts !!!