Kuch Hasin Yaadein

Kuch Hasin Yaadein

गुरुवार, 25 नवंबर 2010

मेरी ज़िन्दगी..

कभी पतझड़ तो कभी बहार है ज़िन्दगी,
कभी उदासी तो कभी इक निखार है ज़िंदगी !
और क्या कहूँ इस ज़िन्दगी के बारे में,
कभी दुश्मन तो कभी जैसे मेरा इक यार है ज़िन्दगी !!

रविवार, 21 नवंबर 2010

तय किया करते थे कभी सर्द बर्फ से गर्म अंगारों का सफ़र,
आज प्यार की नर्म राहों पर भी सहमे - सहमे चलते है !
पिघला सकते थे पत्थर को भी कभी मोम की तरह,
अब मोम से ही बनी शमा से डरते है !!
जाने ऐसा कब हुआ और क्यूँ हुआ ?
हम अपनी तन्हाई से अब अक्सर ये पूछा करते है !!!