Kuch Hasin Yaadein

Kuch Hasin Yaadein

शनिवार, 4 अप्रैल 2009

क्या ग़म है !!

आदमी आता है तन्हा , आदमी जाता है तन्हा !
हूँ मैं आज तन्हा तो क्या ग़म है !!

ज़िन्दगी तस्वीर से बन गई है आईना !
हूँ ग़र आईने में तन्हा तो क्या ग़म है !!


तन्हा है वो कि मैं उनके पास नहीं
और वो मेरे दिल में हैं तन्हा तो क्या ग़म है !!

तन्हा तन्हा लोगों को मोहब्बत है तन्हाई से !
अब मोहब्बत ही हो गई है तन्हा तो क्या ग़म है !!



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