यूँ तो बहुत सुनहरी सी होती है ये यादें,
लेकिन कहाँ याद रह पाती हैं सभी यादें
जब कभी परत दर परत खुलती हैं ये यादें,
याद आते हैं कुछ अपने और उनकी हज़ारों यादें
आंखें नम कर जाती हैं कुछ बेहतरीन यादें,
और दे जाती है इक मुस्कुराहट कुछ ग़मगीन यादें
और दे जाती है इक मुस्कुराहट कुछ ग़मगीन यादें
वो बचपन की यादें , लड़कपन की यादें और फिर कुछ जवानी की यादें,
हँसती- खिलखिलाती , रुठती- मनाती, समझती - समझाती यादें
तभी तो कहलाती हैं ये सुनहरी सी यादें ......