तय किया करते थे कभी सर्द बर्फ से गर्म अंगारों का सफ़र,
आज प्यार की नर्म राहों पर भी सहमे - सहमे चलते है !
आज प्यार की नर्म राहों पर भी सहमे - सहमे चलते है !
पिघला सकते थे पत्थर को भी कभी मोम की तरह,
अब मोम से ही बनी शमा से डरते है !!
अब मोम से ही बनी शमा से डरते है !!
जाने ऐसा कब हुआ और क्यूँ हुआ ?
हम अपनी तन्हाई से अब अक्सर ये पूछा करते है !!!
हम अपनी तन्हाई से अब अक्सर ये पूछा करते है !!!
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