ये जो शिकवे हैं तुम्हारे,
खर्च कर दूँगा मैं सारे।
और जमा कर लूँगा सब,
साथ मुस्कराने के पल हमारे ।।
जानता हूं ऐसे पल कम ही है,
कम हैं तभी तो कीमती है।
ये जो जमा हो रहे हैं पल,
सवारेंगे आने वाला कल ।।
कल जब ढल जायेगी उम्र,
और तेवर हो जायेंगे नर्म ।
हम इस पिटारे को खोलेंगे,
कुछ और अच्छे पल जी लेंगे ।।